2025 में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: माता-पिता की संपत्ति में औलाद का अधिकार अब शर्तों पर

हर भारतीय परिवार में संपत्ति को लेकर सवाल उठते रहते हैं-क्या बेटा या बेटी माता-पिता की संपत्ति पर हकदार हैं? क्या माता-पिता अपनी संपत्ति किसी को भी दे सकते हैं? अगर बच्चे माता-पिता की देखभाल नहीं करें तो क्या वे अपनी दी हुई प्रॉपर्टी वापस ले सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस विषय पर कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं, जिनसे अब कानून पूरी तरह स्पष्ट हो गया है। इस लेख में हम आसान भाषा में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, कानूनों और औलाद के अधिकारों को विस्तार से समझेंगे।

संपत्ति के प्रकार: स्व-अर्जित और पैतृक संपत्ति

1. स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property)

  • यह वह संपत्ति है जिसे माता या पिता ने अपनी मेहनत, आय, नौकरी, व्यापार या निवेश से खुद कमाया हो।
  • इस पर केवल उसी व्यक्ति का अधिकार है, जिसने संपत्ति अर्जित की है।
  • माता-पिता अपनी स्व-अर्जित संपत्ति अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकते हैं-बेटे, बेटी, रिश्तेदार या किसी गैर को भी।
  • औलाद का इस संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है, जब तक माता-पिता खुद न दें।

2. पैतृक संपत्ति (Ancestral Property)

  • यह वह संपत्ति है जो चार पीढ़ियों से चली आ रही हो-पिता, दादा, परदादा आदि।
  • इस संपत्ति में बेटे, बेटियां और अन्य उत्तराधिकारी जन्म से ही हिस्सेदार होते हैं।
  • इसे बेचने या ट्रांसफर करने के लिए सभी सह-स्वामियों की सहमति जरूरी होती है।

सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले

1. स्व-अर्जित संपत्ति पर औलाद का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पिता की स्व-अर्जित संपत्ति में बेटे या बेटी का कोई जबरन अधिकार नहीं है।

“अगर पिता की संपत्ति स्व-अर्जित है, तो बेटा उसमें जबरन कोई दावा नहीं कर सकता। यह नियम शादीशुदा और अविवाहित, दोनों प्रकार के बेटों पर समान रूप से लागू होताहै।

  • अगर माता-पिता चाहें, तो वसीयत (Will) बनाकर अपनी संपत्ति औलाद को दे सकते हैं।
  • अगर वे न देना चाहें, तो बेटा-बेटी कानूनी रूप से संपत्ति के हकदार नहीं हैं।

2. पैतृक संपत्ति में अधिकार

  • सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के फैसले में कहा कि बेटियों को भी पिता की पैतृक संपत्ति में जन्म से ही बराबर का अधिकार है, भले ही पिता की मृत्यु 2005 से पहले या बाद में हुई हो।
  • बेटा-बेटी दोनों पैतृक संपत्ति में बराबर हिस्सेदार हैं।

3. माता-पिता की सेवा न करने पर संपत्ति वापस लेने का अधिकार

  • सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला दिया कि अगर बच्चे माता-पिता की सेवा नहीं करते, तो माता-पिता अपनी दी हुई संपत्ति या गिफ्ट वापस ले सकते हैं।
  • वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम (Welfare of Parents and Senior Citizens Act) के तहत ट्रिब्यूनल संपत्ति ट्रांसफर को रद्द कर सकता है और बच्चों को संपत्ति लौटानी पड़ सकती है।
  • अगर बच्चे माता-पिता की देखभाल नहीं करते, तो संपत्ति का ट्रांसफर शून्य घोषित किया जा सकता है।

संपत्ति अधिकारों का कानूनी आधार

संपत्ति का प्रकारऔलाद का अधिकारसुप्रीम कोर्ट का फैसला
स्व-अर्जित संपत्तिकोई अधिकार नहींमाता-पिता की इच्छा सर्वोपरि
पैतृक संपत्तिजन्म से अधिकारबेटा-बेटी दोनों बराबर हिस्सेदार
गिफ्ट/ट्रांसफर संपत्तिसेवा शर्त पर अधिकारसेवा न करने पर संपत्ति वापस

महत्वपूर्ण बिंदु: सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से क्या बदला?

  • माता-पिता की मर्जी सर्वोपरि: स्व-अर्जित संपत्ति में औलाद का कोई अधिकार नहीं जब तक माता-पिता खुद न दें।
  • पैतृक संपत्ति में बेटियों का भी हक: सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों को भी बराबर का अधिकार दिया है।
  • सेवा न करने पर संपत्ति वापस: माता-पिता की सेवा न करने पर दी गई संपत्ति वापस ली जा सकती है।
  • कर्त्ता के अधिकार: परिवार का कर्त्ता कानूनी जरूरतों के लिए पैतृक संपत्ति बेच सकता है, औलाद इसे चुनौती नहीं दे सकती।

माता-पिता की संपत्ति में औलाद के अधिकार: विस्तार से समझें

1. स्व-अर्जित संपत्ति में अधिकार

  • अगर माता-पिता ने अपनी मेहनत से संपत्ति कमाई है, तो वे अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकते हैं।
  • औलाद (बेटा या बेटी) का इस पर कानूनी हक तभी बनता है, जब माता-पिता वसीयत में उनका नाम लिखें या गिफ्ट डीड करें।
  • अगर माता-पिता बिना वसीयत के गुजर जाते हैं, तो संपत्ति उत्तराधिकार कानून के अनुसार बंटेगी।

2. पैतृक संपत्ति में अधिकार

  • बेटा और बेटी दोनों का बराबर हक होता है।
  • अगर पिता ने पैतृक संपत्ति बेची है और वह कानूनी जरूरत (जैसे कर्ज चुकाना) के लिए थी, तो औलाद इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकती।
  • सभी हिस्सेदारों की सहमति जरूरी होती है।

3. गिफ्ट या ट्रांसफर की गई संपत्ति

  • अगर माता-पिता ने सेवा की शर्त पर संपत्ति गिफ्ट की है और औलाद सेवा नहीं करती, तो ट्रिब्यूनल संपत्ति वापस माता-पिता को दिला सकता है।
  • संपत्ति ट्रांसफर शून्य घोषित हो जाएगी।

संपत्ति अधिकारों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख केस

केस का नाममुख्य बिंदुफैसला
अंगदी चंद्रन्ना बनाम शंकर (2025)स्व-अर्जित संपत्तिऔलाद का अधिकार नहीं
विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा (2020)पैतृक संपत्ति में बेटियों का अधिकारबेटियों को जन्म से हक
मध्यप्रदेश केस (2024)सेवा न करने पर संपत्ति वापसट्रांसफर रद्द

औलाद के अधिकारों और जिम्मेदारियों की सूची

  • स्व-अर्जित संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं, जब तक माता-पिता खुद न दें।
  • पैतृक संपत्ति में बेटा-बेटी दोनों का बराबर हिस्सा।
  • माता-पिता की सेवा और देखभाल करना कानूनी जिम्मेदारी।
  • सेवा न करने पर गिफ्ट या ट्रांसफर की गई संपत्ति वापस ली जा सकती है।
  • माता-पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बाद अब माता-पिता की संपत्ति में औलाद के अधिकार पूरी तरह स्पष्ट हो गए हैं।

  • स्व-अर्जित संपत्ति: औलाद का कोई अधिकार नहीं, माता-पिता की मर्जी सर्वोपरि।
  • पैतृक संपत्ति: बेटा-बेटी दोनों बराबर हिस्सेदार।
  • सेवा न करने पर: माता-पिता अपनी दी हुई संपत्ति वापस ले सकते हैं।

इसलिए, औलाद का फर्ज है कि वे अपने माता-पिता की सेवा करें और उनके साथ अच्छा व्यवहार करें। संपत्ति के कानून को समझकर ही कोई दावा करें, ताकि परिवार में विवाद न हो और कानूनी पचड़ों से बचा जा सके।

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